Thursday, 22 July 2021

गन्दे नाले की मछली Jitendra Rai " Jeet"


 "गंदे नाले की मछली"   

वह सुंदर थी, बेहद सुंदर, पर किसी गंदे नाले में जी रही थी। मैं साफ पानी मे उन्मुक्त था। उसे देखा तो कहीं अंदर से आवाज आई कि उसे भी अपने साथ साफ पानी में ले आऊं। कई दिनों तक बात करता रहा उससे, पर जब भी उस गंदगी में जाता था,नाक पर रुमाल रखना पड़ता था। वह भी खुश थी, बहुत अधिक खुश। साफ पानी की जिंदगी के ख्वाब वह भी देखने लगी थी। एक दिन उसकी जिंदगी से अपनी जिंदगी की तुलना कर बैठा। वह नाराज हो गई, बहुत ज्यादा नाराज। मैं बोला कब तक गंदगी में पड़ी रहोगी, फिर और ज्यादा नाराज हो गई। मैं चाहता था उसे अपने साथ रखूं किन्तु वह कुछ ऐसा बोली कि हृदय फट पड़ा, सीने में दर्द उठ गया। बोली मैं यहां ज्यादा खुश हूं, नहीं चाहिए स्वच्छ जल। मैं जानता था वह गलत थी। इसलिए जिद कर बैठा उसे साफ पानी मे लाने की, उसने कीचड़ उछाल दिया मेरी तरफ।

Short stories by Jitendra Rai "Jeet"

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