"हामिद का चिमटा"
Jitendra Rai 'Jeet'
बूढ़ा हामिद छत पर एक कोने में पड़ी चारपाई पर उदास लेटा हुआ है। घर की दहलीज उसने पूरे डेढ़ साल से नहीं लांघी है। कुछ देर पहले ही महमूद का फोन आया था कि नूरे इस जहाँ से रुख़्सत हो चुका है और सम्मी अस्पताल में है। कुछ साल पहले की बात होती तो वह उन दोनों की बीमारी में उनका पूरा साथ देता, बिल्कुल भी अकेला नहीं छोड़ता।
किन्तु 2020 और 21 ! उफ्फ!
बेबसी के आँसू उसकी आँखों से उतरकर, झुर्रीदार गालों में बहने का रास्ता तलाशने लगे।
अभी शबनम आई छत पर, उछलती कूदती, कि आप तो ईदगाह के किस्से कहते नहीं अघाते थे। ईदगाह में यह मिलता है, वह मिलता है। हर तरफ खुशियाँ होतीं हैं। हमारे हिस्से की ईदगाह कहाँ है दादाजी?
वह निरुत्तर।
कैसे कहे कि इस दफ़ा ईद कब्रगाह की ओर है।
"मेरी ईदी दो न दादाजी"
बमुश्किल उठा वह चारपाई से। इधर उधर देखा। अकस्मात उसकी नज़र एक कोने में जंग खाये चिमटे पर पड़ी। उसे याद हो आये नाउम्मीदी में जीती दादी अमीना के वह आँसू, आँखे, जिनमें शून्य था किंतु दुआएँ थीं, उम्मीदें पोते पर सिमट आईं थीं। हामिद कल बड़ा होगा और सब कुछ ठीक हो जायेगा।
उसने चिमटा साफ किया, और शबनम के हाथों में सौंप दिया।।
इस उम्मीद में कि कल सब कुछ ठीक हो जायेगा।
@ Jitendra Rai "Jeet"
लेखक परिचय
नाम- जितेन्द्र राय 'जीत’
शैक्षिक योग्यता- एम. ए. ( अंग्रेजी), बी़ एड.
जन्मतिथि- 06 अप्रैल 1981
कवि एवं लेखक
जिला अध्यक्ष
हिन्दी साहित्य भारती
चम्पावत।
मूलनिवास का पता-
ग्राम- बजवाड़,
विकास खण्ड- पाबौ
जिला- पौड़ी गढ़वाल
उत्तराखण्ड
पिन- 246123
मोबाइल नम्बर- 8006551851
9528475725
वर्तमान में राजकीय सेवा में चम्पावत, उत्तराखंड में कर्मरत
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